- पुलिस पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में अपराधियों को पकड़ना पुलिस के लिए चुनौती बन गया है।
- विपक्ष ने राज्य सरकार की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
Police Attack : सागर जिले के सुरखी थाना क्षेत्र में गुरुवार देर शाम पुलिस पर हमला हुआ। पुलिस की एक टीम महुआ खेड़ा गांव में वारंटी को गिरफ्तार करने पहुंची थी, लेकिन आरोपियों के परिवार वालों और ग्रामीणों ने एकजुट होकर पुलिस पर पथराव कर दिया। इस हमले में दो पुलिसकर्मी घायल हो गए।
पुलिस की एक टीम
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई न्यायालय के आदेश पर की जा रही थी। पुलिस दल एक स्थायी और तीन अन्य वारंटियों को गिरफ्तार करने गया था, लेकिन गांव वालों ने आरोपियों का समर्थन करते हुए पुलिस को निशाना बना लिया। स्थिति नियंत्रण से बाहर जाती देख, अतिरिक्त पुलिस बल मौके पर भेजा गया और दोषियों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
यह कोई अकेली घटना नहीं
यह कोई अकेली घटना नहीं है। हाल ही में मऊगंज के शाहपुर थाना क्षेत्र के गड़रा गांव में भी पुलिस पर हमला किया गया था, जिसमें सहायक उप निरीक्षक रामचरण गौतम की मौत हो गई थी। इसके अलावा, दमोह जिले में भी एक बदमाश ने पुलिस पर फायरिंग कर दी थी, जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया था। यह हमला तब हुआ जब पुलिस आरोपी को लेकर हथियार बरामद करने गई थी।
सिर्फ इतना ही नहीं, सीहोर जिले के इच्छावर में कोर्ट मैरिज विवाद को सुलझाने गई पुलिस टीम पर भी हमला हुआ था। वहीं, मुरैना जिले में रेत माफिया ने कई बार वन कर्मियों और सुरक्षा बलों को अपना निशाना बनाया है।
इन घटनाओं ने विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का मौका दे दिया है। कांग्रेस ने भाजपा सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा है कि राज्य में अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए हैं और पुलिस भी सुरक्षित नहीं रह गई है।
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