- फसलों मे पाले लगने का कारण
- आने बाले दिनों मे मौसम का पूर्वानुमान
- फसल को पाले से बचाव के उपाय
phasalon ko paale se bachaane ke lie kya karen? : पश्चिमी मध्य प्रदेश में इन दिनों शीतलहर का असर बढ़ने के कारण कई जिलों में पाले की संभावना जताई जा रही है। विशेष रूप से उज्जैन, रतलाम, मंदसौर और नीमच जिलों में रात के तापमान के 6 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिरने के कारण पाला गिरने की संभावना है।
पाला रबी फसलों के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकता है, इसलिए किसानों को अपनी फसल की सुरक्षा के लिए विशेष उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। आइए जानें कि इस शीतलहर से फसल की सुरक्षा कैसे की जा सकती है और पाले से बचाव के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
फसलों मे पाले लगने का कारण
पाला वह स्थिति होती है, जब वातावरण में नमी पानी के बूंदों के रूप में होती है और यह बर्फ के रूप में जम जाती है। जब तापमान बहुत कम होता है, खासकर रात के समय, तो यह बर्फ बनकर फसलों पर गिरता है।
रबी सीजन में खासतौर पर गेहूं, सरसों, मटर, चना जैसी फसलें पाले से प्रभावित हो सकती हैं। पाले के कारण पौधों की पत्तियाँ और फूल मुरझा जाते हैं, जिससे पैदावार में भारी कमी हो सकती है।
विशेष रूप से इस समय पश्चिमी मध्य प्रदेश में शीतलहर के कारण तापमान गिरने से पाले का प्रभाव अधिक हो सकता है। यदि रात का तापमान 6 डिग्री से नीचे जाता है, तो किसानों को अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए तुरन्त कदम उठाने होंगे।
मौसम विभाग का कहना है कि अगले कुछ दिनों तक तापमान में गिरावट रहेगी, लेकिन इसके बाद बादल छाने से कुछ राहत मिल सकती है।
आने बाले दिनों मे मौसम का पूर्वानुमान
मौसम विभाग के अनुसार आगामी 1-2 दिन तक तापमान में गिरावट बनी रहेगी। रतलाम जिले में पिछले दो दिनों से तापमान 5.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है, जो पाले के गिरने की संभावना को बढ़ाता है। हालांकि, 2 दिनों के बाद बादल छाने की संभावना है, जिससे कुछ राहत मिल सकती है। इस समय किसान को चाहिए कि वह इन सलाहों का पालन करके अपने खेतों की सुरक्षा करें।
फसल को पाले से बचाव के उपाय
पाले से फसलों की रक्षा के लिए कृषि विभाग द्वारा कई उपाय सुझाए गए हैं। इन उपायों को अपनाकर किसान अपने खेतों में फसलों को पाले से बचा सकते हैं और नुकसान को कम कर सकते हैं।
हल्की सिंचाई करें
फसलों को पाले से बचाने का पहला और सबसे प्रभावी उपाय है हल्की सिंचाई करना। सिंचाई से फसल के आस-पास की मिट्टी में नमी बनी रहती है और यह पाले के असर को कम करने में मदद करता है।
सिंचाई करते समय ध्यान दें कि पानी का प्रवाह बहुत तेज न हो, क्योंकि इससे मिट्टी में पानी की अधिक मात्रा जमा हो सकती है, जिससे फसल की जड़ें खराब हो सकती हैं। हल्की सिंचाई से तापमान में हल्का उतार-चढ़ाव रहेगा, जो पाले के असर को कम करने में मदद करेगा।
सल्फर युक्त रसायनों का उपयोग करें
इस समय फसलों में सल्फर युक्त रसायनों का उपयोग भी फायदेमंद साबित हो सकता है। कृषि विभाग ने सलाह दी है कि किसान डाइमिथाइल सफ्लो ऑक्साइड का 0.2 प्रतिशत घोल या थायो यूरिया का 0.1 प्रतिशत घोल छिड़कें। यह पत्तियों को पाले के प्रभाव से बचाने में मदद करता है। सल्फर युक्त रसायन फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे फसल को शीतलहर से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
खेत की मेड़ पर धुआं करें
फसल को पाले से बचाने के लिए एक और प्रभावी उपाय है कि किसान अपने खेत की मेड़ पर फसल के अवशेषों को जलाकर धुआं करें। इससे खेत में गर्मी बनी रहती है और रात के समय तापमान में गिरावट कम होती है। इस विधि से हवा में नमी का स्तर भी नियंत्रित रहता है, जिससे पाला नहीं जमता।
मल्चिंग और पुआल का उपयोग
मल्चिंग और पुआल की परत खेत में डालने से भी पाले से बचाव हो सकता है। मल्चिंग से मिट्टी की सतह की गर्मी बनी रहती है और पाला जमने का खतरा कम हो जाता है। यह फसल की जड़ों को भी ठंड से बचाता है। पुआल की परत भी एक प्रभावी उपाय है, जो पाले के असर को कम करने में मदद करता है।
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