MP OBC Reservation: प्रदेश में ओबीसी आरक्षण साढ़े पांच हजार पदों पर नहीं हो पा रही नियुक्ति शासन रेखा फैसला आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि यह ओबीसी आरक्षण मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का फैसला आया है ।
बताया जा रहा है की फैक्ट्री में लगभग साढ़े पांच हजार पदों पर नियुक्ति हो सकेगी बताया जा रहा है कि ओबीसी के लिए 27% आरक्षण का मामला 5 वर्ष से अटका हुआ है यूथ फॉर इक्वलिटी संस्था की 27% ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका को जबलपुर हाईकोर्ट ने मंगलवार को रद्द कर दिया गया है।
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जिससे 13% रोक कर रखे गए पदों पर भर्ती हो सकेगी बताया जा रहा है कि इसकी प्रक्रिया क्या रहेगी ओबीसी या सामान्य किस वर्ग से भारती की जाएगी यह शासन हाई कोर्ट के फैसले पर विधि एवं विधाई विभाग में अभी मत पर निर्भर करेगा। बताया जा रहा है कि ओबीसी को 27% आरक्षण देने का मामला 5 साल से अटका हुआ है।
प्रदेश में होगा आरक्षण 63%
आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि इस आरक्षण को मिलाकर के मध्य प्रदेश में आरक्षण 63% हो जाएगा जैसे इंदिरा साहनी मामले में वर्ष 2009 में संविधान पीठ में आरक्षण की सीमा 50% तय कर रखी है।
राज्य की तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव की दृष्टिगत फायदा उठाने के उद्देश्य विधानसभा में संशोधन विधेयक प्रस्तुत करके सरकारी नौकरी में ओबीसी आरक्षण की सीमा को यह 14 से बढ़कर के 27% कर दिया गया था। जिससे प्रदेश में आरक्षण 63% हो गया ।
हाई कोर्ट ने दी चुनौती
आपको यह जानकारी के लिए बता देते हैं कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 20 अनुसूचित जाति के लिए 16 और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण सीमा 14% बताया जा रहा है कि आरक्षण की सीमा 50% से ज्यादा होने की वजह से इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है ।
और 20 जनवरी 2020 को 27% आरक्षण पर रोक भी लगा दी गई थी तब से ही यह मामला अटका हुआ था बताया जा रहा है कि तब से यह भर्ती नहीं हो पा रही थी जिसको देखते हुए तत्कालीन महाधिवक्ता ने सामान्य प्रशासन विभाग को 26 अगस्त 2021 को अभी मत दिया।
और फिर कोर्ट को अवगत भी कराया गया था कि यह 13% पदों को रोक करके नियुक्ति भी कर दी जाएगी और गढ़ के आदेश पर 2 सितंबर 2021 में शीश 13% के लिए दो सुचिया भी बनाई गई है ।
एक ओबीसी की और एक अनारक्षित वर्ग की जिससे जब भी फैसला हो तो उसके मुताबिक नियुक्तियां देने में अधिक समय ना लगे तब से यही क्रम चलता रहा है और यह फार्मूले के वजह से लगभग साढ़े पांच हजार पदों पर नियुक्तियां अटकी विधाई विभाग को बेचकर के अभी मत लेने के बाद में सरकार के स्तर से नीतिगत फैसला भी लिया जाएगा।