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दूल्हा देव “ दादा महाराज” चमत्कारिक और रहस्यमयी जगह , यहां विज्ञान भी हो जाता है फ़ैल,आप भी जानिये

दादा महाराज मंदिर का इतिहास ( Dada Maharaj Mandir ) से जुड़ी अनकही-अनसुनी कहानियां आज भी होते हें चमत्कार

भारत देश धर्म और आस्था का देश है इस देश में पत्थर में भी भगवान मुझे जाते हैं धर्म आस्था और मान्यताओं को लेकर देवस्थान बन जाते हैं आज हम आपको नरसिंहपुर जिले के दादा महाराज देवस्थान के बारे में बताने जा रहे हैं इसलिए स्थान पर मध्य प्रदेश के महाकौशल सहित पूरे देश में चर्चाएं होती हैं

दादा महाराज मंदिर में लोगों की धर्म आस्था और मान्यता के चलते काफी प्रसिद्ध हो चला है उनकी प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी एनएच नहीं भी दादा महाराज मंदिर (Dada Maharaj Mandir) के पास से ही एनएच रास्ता निकाल दिया इने मंदिर को कोई हटा नही सका ये दादा महाराज का ही चमत्कार हें  (Dada Maharaj Mandir)  दादा महाराज को लेकर पौराणिक कई मान्यताएं है

दूल्हा देव दादा महाराज मंदिर ( Dulha Dev Maharaj )

नरसिंहपुर शहर से लगभग 7 किलोमीटर दूर जबलपुर रोड पर दादा महाराज का प्रसिद्ध मंदिर है बताया जाता है कि आदि अनादि काल से यह मंदिर यहां स्थापित है झांसी नागपुर नेशनल हाईवे पर दादा महाराज का यह मंदिर पड़ता है जहां पर प्रत्येक शनिवार को दादा महाराज के भक्तों का तांता लगा रहता है वैसे तो दादा महाराज के मंदिर में आने जाने वाले लोगों की कमी नहीं होती मगर शनिवार के दिन दादा महाराज के दर्शन करने का अपना ही अलग महत्व बताया जाता है

दादा महाराज मंदिर का इतिहास ( Dada Maharaj Mandir History )

दादा महाराज मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो पुरातत्व पर्यटन संस्कृति परिषद के वरिष्ठ सदस्य कालूराम पटेल उर्फ खोजी बाबा ने जानकारी दी कि आदि अनादि काल से दादा महाराज यहां स्थापित है खोजी बाबा बताते हैं ( Dada Maharaj Narsinghpur History ) कि पुराने समय में आम्हाऊ सड़क के नाम से जाना जाता था यह सड़क मुंबई से कोलकाता को जाती थी यानी नरसिंहपुर और जबलपुर, और नरसिंहपुर लखनादौन का अंधा मोड़ था उसी अंधे मोड़ पर दादा महाराज का मंदिर था खोजी बाबा बताते हैं

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कि उस अंधे मोड़ को हटाने के लिए सन लगभग 1866-67 पीडब्ल्यूडी विभाग के एसडीओ आए थे जिन्होंने अंधा मोड़ हटाकर नए तरीके से रोड निर्माण कर दादा महाराज के मंदिर ( Dada Maharaj Mandir History ) को हटाने का आदेश दे देकर चले गए थे कुछ ही दूरी पर चलने के बाद एसडीओ साहब की गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाता है

और एसडीओ साहब की मौत हो जाती है तब से लेकर अब तक दादा महाराज के मंदिर को चमत्कारिक मंदिर मानने लगे तब से लेकर अभी तक मंदिर को कोई नहीं हिला पाया यह दादा महाराज का ही चमत्कार है  खोजी बाबा बताते हैं दादा महाराज के इतिहास की बात करें तो पूर्व में दादा महाराज को ग्रामदेवता माना जाता था

दादा महाराज मंदिर ( Sri Dada Maharaj ) का अलग ही है रहस्य

खोजी बाबा उर्फ़ कालूराम पटेल बताते हैं कि दादा महाराज मंदिर का अलग ही रहस्य है दादा महाराज के मंदिर का चमत्कार ही अलग है यहां भूत प्रेत बाधाओं तो दूर होती ही हैं साथ ही मन की हर मुराद भी पूरी होती है पुरातत्व पर्यटन संस्कृति परिषद के वरिष्ठ सदस्य कालूराम पटेल उर्फ खोजी बाबा ने भी अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि उनके खुद के स्वयं के अनुभव हैं उनकी बहन भी परेशान थी और दादा महाराज की शरण में आकर उनकी बहन भी ठीक हो ग गई

कालूराम पटेल उर्फ खोजी बाबापुरातत्व पर्यटन संस्कृति परिषद के वरिष्ठ सदस्य

महाराज मंदिर में बलि प्रथा

महाराज मंदिर में पूर्व में बलि प्रथा थी क्योंकि बताया जाता है कि आदिवासी परंपराओं के अनुसार पूर्व से यह बलि प्रथा चली आ रही है जानकारी के अनुसार आदिवासी राजा हर्रई जागीर के राजा उदय भान का दूल्हा देव दादा ( Dada Maharaj History) डोकर घाट कुल दिवाला बताया जाता है

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जानकारी के अनुसार 100 वर्ष पूर्व गौडी धर्म सद्विचार नामक पुस्तक लिखी गई थी जिसके लेखक झाम  सिंह ने लिखा था और राजा उदय भान को यह पुस्तक भेंट की गई थी जिसमें इन सभी चीजों का जिक्र है मान्यताओं के अनुसार दादा महाराज मंदिर दूल्हा देव दादा के यहां मनौती पूरी होने पर आदिवासी परंपराओं के अनुसार मुर्गे और बकरे की बलि दी जाती थी जो प्रथा काफी लंबे समय से चली आ रही है हालांकि अभी भी चोरी-छिपे यहां पर दादा महाराज के नाम पर मुर्गे और बकरे की बली दी जाती है

मनौती के लिए 5 शनिवार आने पर होती है मन की मुराद पूरी ( Sri Dada Maharaj )

दादा महाराज मंदिर मन की मुराद पूरी करने के लिए बताया जाता है कि अगर कोई लगातार पांच शनिवार दादा महाराज के मंदिर आकर दर्शन करता है तो दादा महाराज उसके मन की हर मुराद पूरी करते हैं

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Alok Singh

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